Durgakund Mandir:-तीनों लोकों से नारी काशी में जब आप आते हैं तो महादेव के दर्शन तो होती है साथ ही साथ शक्ति भी विराजमान है इस शहर में और बनारस में आपको मां दुर्गा के दर्शन करने का सौभाग्य भी प्राप्त होता है.भगवान शिव के त्रिशूल पर टिकी विश्व की तीनों लोगों से न्यारी काशी में मां आदिशक्ति अदृश्य रूप में दुर्गाकुण्ड मंदिर में विराजमान है माता का सिद्ध मंदिर प्राचीनतम मंदिर में से एक माना जाता है.आज के इस आर्टिकल मे आपको बताएंगे दुर्गा मंदिर के बारे मे की बनारस के दुर्गाकुंड एरिया में स्थित है.
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About Durgakund Mandir Varanasi
दुर्गा मंदिर बनारस के दुर्गाकुण्ड एरिया मे स्थित, यह लाल पथरों से बना मंदिर है. मंदिर के परिसर में आपको कुंड भी मिल जाएगा जिसे दुर्गाकुण्ड के नाम से जाना जाता है.इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि जो भी भक्त सच्चे मन से यहां पर दर्शन करने के लिए आता है इसकी समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं और साथ ही साथ उसके अंदर एक सकारात्मक ऊर्जा का भी प्रभाव होता है और इस मंदिर में आपको माता रानी के दिव्य दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त होता है. यहां पर मां काली विराजमान है, मां सरस्वती विराजमा है साथी साथ बाबा भैरव भी विराजमान है.माता के दर्शन करने के बाद यहां गुप्तेश्वर महादेव मंदिर के दर्शन करना भी अनिवार्य होता है तभी माँ की पूजा पूरी होती है.
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Durgakund Mandir Varanasi का इतिहास
मान्यता है कि यह मंदिर आदिकालीन है में वैसे तो हर समय दर्शनर्थियों का आना गाना लगा रहता है. लेकिन शारदीय नवरात्र के चौथे दिन यहाँ मां कुष्मांडा के दर्शन और पूजा के लिए भारी भीड़ आती है.काशी के पावन भूमि पर कईदेवी मंदिरों का बड़ा ही महत्व है मां का यह मंदिर काशी के पुरातन मंदिर में से एक है. बताया जाता है कि मंदिर का जीर्णोद्धार साल 1760 में बंगाल की रानी भवानी ने कराया था. उस समय मंदिर निर्माण में ₹50000 की लागत आई थी.
मान्यता है की असुर शुंभ- निशुंभ का वध करने के बाद मां दुर्गा ने यहाँ विश्राम किया था.आदिकाल में काशी में केवल तीन ही मंदिर थे पहला काशी विश्वनाथ दूसरा मां अन्नपूर्णा और तीसरा मां दुर्गा मंदिर.कुछ लोग यहां तंत्र पूजा भी करते हैं यहाँ पर स्थित हवन कुंड में हर रोज हवन किया जाता है.
इस भव्य मंदिर में एक दुर्गा कुंड भी है इस दुर्गा कुंड सी जोड़ी एक अद्भुत कहानी बताई जाती है. बताया जाता है कि काशी नरेश राजा सुबाहु ने अपनी पुत्री के विवाह के लिए स्वयंवर की घोषणा की थी. स्वयंवर से पहले सुबाहु की पुत्री को सपने में राजकुमार सुदर्शन के संग विवाह होते देखा राजकुमारी ने यह सारी बातें अपने पिता राजा सुबाहु को बताया. काशी नरेश में जब यह बात स्वयंवर में आए राजा महाराजा को बताया तो सभी राजा राजकुमार दर्शन के खिलाफ हो गये और युद्ध का ऐलान कर दिया.
राजकुमार ने युद्ध से पहले मां भगवती की आराधना की और विजयी होने का आशीर्वाद मांगा. कहां जाता है कि युद्ध के दौरान मां भगवती में राजकुमार के सभी विरोधियों का वध कर डाला युद्ध के दौरान वहां इतना रक्तपात हुआ कि वहाँ रक्त का कुंड बन गया जो आज दुर्गाकुंड के नाम से जाना जाता है.
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Durgakund Mandir कैसे पहुंचे?
दुर्गाकुंड मंदिर बनारस के किसी भी कोने से आसानी से पंहुचा जा सकता है.यहाँ आप ऑटो,कैब या फिर सिटी बस से भी पहुँच सकते है.दुर्गाकुंड मंदिर अस्सी घाट से मात्र एक किलोमीटर दूर है और वहीं विश्वनाथ मंदिर से 3.5 किलोमीटर की दुरी पर है.
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