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सारनाथ मंदिर वाराणसी महत्त्व और इतिहास

1. परिचय

सारनाथ मंदिर,जिसका प्राचीन नाम सारंगनाथ है. भारत में एक प्रमुख धार्मिक स्थल है जो गौतम बुद्ध के जीवन के महत्वपूर्ण घटनाक्रमों से जुड़ा हुआ है। यह स्थल वाराणसी शहर से लगभग 13 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और बौद्ध धर्म के महत्वपूर्ण प्रसार का केंद्र रहा है। सारनाथ मंदिर का नाम भाषांतर में ‘धर्म की उपदेशना का स्थल’ होता है।सारनाथ में थाई मंदिर और श्रीलंकन मंदिर भी आपको देखने को मिल जायेगा|

इस स्थल पर गौतम बुद्ध ने अपने पहले उपदेशना को दिया था, जिसमें उन्होंने चारित्रिक तपस्या और मानवता के महत्वपूर्ण सिद्धांतों का विवरण किया। यहीं पर वे अपने प्रथम पंचशील और धर्मचक्र प्रवर्तन को भी प्रारंभ किया। सारनाथ में कई महत्वपूर्ण स्थल हैं जिनमें सर्वप्रथम धर्मचक्र स्थल, धम्मेक स्तूप, अशोक स्तूप और मुलगंध कुटी शामिल हैं। धम्मेक स्तूप, जिसे धर्म चक्र स्तूप भी कहते हैं, बौद्ध धर्म के महत्वपूर्ण प्रतीक माना जाता है और यह स्थल बौद्ध संघ के उपदेशक को समर्पित है। सारनाथ का भारतीय और अन्तरराष्ट्रीय पर्यटकों के लिए भी विशेष महत्व है, क्योंकि यह स्थल भारतीय धर्म, फिलॉसोफी, और सांस्कृतिक धरोहर को समझने का एक श्रेष्ठ माध्यम प्रदान करता है।

2. सारनाथ मंदिर का इतिहास

सारनाथ मंदिर का इतिहास उस समय तक जाता है जब गौतम बुद्ध ने बोध गया और वह सम्यक संबोधि प्राप्त की। उनके परिवर्तन के बाद, वे सारनाथ में वापस गए और यहाँ उन्होंने पहली बार अपने पंच शील (पांच धार्मिक सिद्धांत) का प्रसार किया और उनकी पहली उपदेशना की शुरुआत की। इसे “धर्म चक्र प्रवर्तन” के रूप में जाना जाता है, जिसमें वे अपने पहले पंचशील का बोधन करते हैं और उपदेशकों के बीच धर्मचक्र का प्रवर्तन करते हैं।

सारनाथ मंदिर के धर्मिक महत्व को विभाजित देखते हुए, सम्राट अशोक ने 3वीं सदी ईसा पूर्व में यहाँ अपनी योजनाओं का प्रवर्तन किया। उन्होंने यहाँ एक बड़ा स्तूप (धम्मेक स्तूप) बनवाया जो बौद्ध धर्म के प्रमुख प्रतीकों में से एक बन गया। इसके साथ ही, उन्होंने धर्मिक शिक्षा की प्रोत्साहना देने के लिए अनेक स्तूप और विहार भी यहाँ बनवाए।

सारनाथ मंदिर के बाद, यह स्थल बौद्ध धर्म के प्रमुख ध्यान केंद्रों में से एक बन गया और यहाँ बौद्ध संघ के उपदेशक और शिक्षकों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल बन गया। आज भी सारनाथ विभिन्न धर्मिक और सांस्कृतिक आयोजनों के लिए महत्वपूर्ण है और यह एक प्रमुख पर्यटन स्थल भी है जो भारतीय और विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करता है।

3. धर्मिक महत्व:

सारनाथ मंदिर का धर्मिक महत्व गौतम बुद्ध के उपदेशों और धर्म प्रसार के संबंध में महत्वपूर्ण है। यह स्थल बौद्ध धर्म के प्रमुख केंद्रों में से एक है और उसके अन्यथा ध्यान और साधना के लिए भी महत्वपूर्ण है।

धर्मचक्र प्रवर्तन: सारनाथ में गौतम बुद्ध ने अपनी पहली उपदेशना की शुरुआत की जिसे “धर्मचक्र प्रवर्तन” कहा जाता है। इसमें उन्होंने चारित्रिक तपस्या और मानवता के महत्वपूर्ण सिद्धांतों का प्रसार किया जो आत्मा के परिवर्तन और उनकी संदेह-शून्य धारणाओं के बारे में थे।

पंच शील: सारनाथ में बुद्ध ने अपने पंच शील का बोधन किया, जिनमें अहिंसा, सत्य, चोरी नहीं करना, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह शामिल थे। ये सिद्धांत उनकी धर्मिक शिक्षा के महत्वपूर्ण हिस्से थे और बौद्ध धर्म के मूल आधार के रूप में जाने जाते हैं।

बौद्ध धर्म के प्रसार का केंद्र: सारनाथ ने बौद्ध धर्म के प्रसार का महत्वपूर्ण केंद्र बनाया। बुद्ध की उपदेशना के बाद, यहाँ पर विभिन्न बौद्ध संघों और विद्यालयों की स्थापना हुई जहाँ धर्मिक शिक्षा और ध्यान का प्रचार किया गया।

अशोक के स्तूप और विहार: सम्राट अशोक ने सारनाथ में धर्म की प्रोत्साहना करने के लिए अनेक स्तूप और विहार बनवाए। इनका उद्देश्य धर्म के प्रसार को सुनिश्चित करना और लोगों को बुद्ध की शिक्षाओं के प्रति प्रेरित करना था।

आध्यात्मिक साक्षरता: सारनाथ में आध्यात्मिक शिक्षा के लिए विभिन्न ध्यानासनों और धार्मिक अभ्यासों की परंपरा बनी है। यहाँ के ध्यान केंद्रों में लोग अपने आत्मा को प्रकाश की ओर ले जाने का प्रयास करते हैं।

समग्र रूप से, सारनाथ का धर्मिक महत्व गौतम बुद्ध के उपदेशों और बौद्ध धर्म के प्रसार के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल है जो आज भी धार्मिकता, शिक्षा और आध्यात्मिकता के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

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4. धार्मिक स्थलों की विशेषता

सारनाथ मंदिर की विशेषता उसके ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व में है। यहाँ पर आने वाले लोग ध्यान और मेधा को विकसित करने के लिए योग्यता प्राप्त करते हैं।

5.संक्षिप्त समापन:

सारनाथ मंदिर भारतीय संस्कृति और धर्म के महत्वपूर्ण केंद्रों में से एक है, जो आत्मा की शांति और ध्यान की दिशा में एक महत्वपूर्ण यात्रा का स्थल है।

इस ब्लॉग से हमने सारनाथ मंदिर के महत्वपूर्ण पहलुओं को जाना और इसकी धार्मिक महत्वपूर्णता को समझा। यह स्थल भारतीय संस्कृति और धर्म की गहरी धारोहर को दर्शाता है और आत्मा की शांति की दिशा में एक महत्वपूर्ण यात्रा का स्थल है।

6. सारनाथ कैसे पहुंचे

सारनाथ पहुँचने के लिए आप वाराणसी, उत्तर प्रदेश की ओर जा सकते हैं, क्योंकि सारनाथ वाराणसी से लगभग 13 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

वायरल यातायात:
वाराणसी एयरपोर्ट सबसे नजदीकी है, जिससे आप फ्लाइट से पहुँच सकते हैं। आप भी वाराणसी जंक्शन रेलवे स्टेशन पर आकर ट्रेन से यात्रा कर सकते हैं।

होटल:
सारनाथ में अनेक होटल और पेयजल पार्किंग उपलब्ध हैं। आपको वाराणसी के केंद्र या सारनाथ क्षेत्र में अलग-अलग बजट और सुविधाओं के होटल मिल सकते हैं। आपको अपनी आवश्यकताओं और बजट के आधार पर होटल चुन सकते हैं। आपको अपने यात्रा की तारीखों पर आगे की बुकिंग करना बेहतर होगा, खासकर यदि आप वर्ष के उच्च पर्यटन मौसम में जा रहे हैं।

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