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Lolark Kund Varanasi जहाँ पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है

Lolark Kund Varanasi:-वाराणसी, भारतीय संस्कृति का गहना, जो अपनी अद्वितीय और प्राचीन महत्ता के लिए प्रसिद्ध है, इसे भारतीय सभ्यता की प्राचीनतम शहरों में से एक के रूप में जाना जाता है.वैसे तो वाराणसी की हर नदी, कुंड, तालाब को ही जल् तीर्थ की ही मान्यता प्राप्त है. इनकी हर एक डुबकी पूर्ण फलदाई है. लोलार्क कुंड मे डुबकी किसी पुण्य की ही डुबकी नहीं बल्कि आस्था और विश्वास की डुबकी है.लोलार्क कुंड का मेला हर वर्ष भाद्रपद शुक्ल षष्ठी को मनाया जाता है. लोलार्क षष्ठी को ललई छठ के नाम से भी जाना जाता है.

Lolark Kund Varanasi की महत्वता

वाराणसी मे स्थित लोलार्क कुंड मे स्नान करने का विधान है. लोलार्क षष्ठी यानि की ललई छठ पर वाराणसी स्थित लोलार्क कुंड पर स्नान करने से निःसंतान दम्पति को पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है. कहा जाता है इस कुंड मे स्नान करने से दम्पतियों को पुत्र सुख का लाभ मिला है. इसी मान्यता के चलते हर वर्ष लोलार्क छठ पर इस कुंड मे लाखो लोग डुबकी लगाने आते है. कहा जाता है इस कुंड मे निःसंतान दम्पति को स्नान करने के बाद अपने कपडे वही छोड़ के जाना होता है इस दौरान महिलाओ को श्रृंगार आदि का सामान भी वही छोड़ना होता है.

लोलार्क कुंड की इतिहास

एक कथा के अनुसार विद्युन्माली दैत्य शिव भक्त था जब इस दैत्य को सूर्य ने हरा दिया तब भगवान शिव सूर्य पे क्रोधित हो गए थे और रूद्र त्रिशूल हाथ मे लेकर उनकी ओर दौड़ पड़े थे. उस समय सूर्य भागते भागते पृथ्वी मे काशी मे आ गिरे थे इसी कारण से वहाँ का नाम लोलार्क नाम पड़ा था.

भाद्रपद शुक्ल षष्ठी पर फल

भाद्रपद शुक्ल षष्ठी को स्नान दान जप तप ओर व्रत करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है. ख़ासतौर से अगर सूर्य पूजन, गंगा दर्शन ओर पंचगव्य प्राशन किया जाए तो अश्वमेध के सामान फल होता है. इस पूजन मे पुष्प, धूप, दीप, ओर नैवैध मुख्य है. इनके अलावा साधू सन्यासी यहाँ मोक्ष पाने के लिए स्नान करते है. विधान है की यहाँ पर एक फल का त्याग भी करना पड़ता है.

पश्चिम बंगाल के नरेश और लोलार्क कुंड की कहानी

कहा जाता है की अगर आप इस कुंड मे स्नान करते है तो आपको चरम रोगों से छुटकारा मिलता है.आस्था की ये कहानी 18वी सदी की एक घटना से जुड़ती है जिसमे पश्चिम बंगाल के कूच बिहार स्टेट के नरेश इस कुंड के स्नान से चरम रोग से निरोग हुए और साथ ही उनको पुत्र रत्न के प्रति भी हुई ओर वो घटना आस्था की एक प्रतीक बन गयी.उसके बाद से यहाँ लोग चरम रोग से छुटकारा पाने के लिए भी आने लगे.

लोलार्क कुंड कैसे पहुंचे?

लोलार्क कुंड वाराणसी में अस्सी घाट छेत्र में स्थित है यहाँ आने के लिए आपको वाराणसी रेलवे स्टेशन,एयरपोर्ट, बस अड्डे या फिर कहीं से भी आपको ऑटोरिक्सा या फिर कैब मिल जाएगी जो आपको डायरेक्ट अस्सी पे छोड़ेगी.थोड़ा गली होने की वजह से आपको रोड पे उतरना होगा फिर वहां से पैदल कुण्ड पे जा सकते है.

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