Maha ShivRatri in Varanasi:भारतीय संस्कृति में शिवरात्रि को एक महत्वपूर्ण धार्मिक उत्सव माना जाता है.बनारस में शिवरात्रि भगवान शिव और माँ पार्वती के विवाह को एक उत्सव के रूप पे मानते है.बनारस, जो भारतीय संस्कृति का प्राचीनतम और पवित्रतम शहर माना जाता है, उसकी शिवरात्रि विशेष रूप से मानी जाती है. यहां पर, शिवरात्रि का महत्व अधिक होता है क्योंकि बनारस को भगवान शिव का शहर माना जाता है और भगवान शिव के पवित्र स्थल काशी विश्वनाथ यही स्थित है.
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Maha Shivratri पर बनारस और मंदिर
शिवरात्रि के पर्व के दिन बनारस में अलग-अलग पंडालों में धार्मिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों की व्यवस्था की जाती है.इन पंडालों में भक्तों के लिए भगवान शिव की मूर्तियां स्थापित की जाती हैं और उन्हें पूजा-अर्चना की जाती है. शिवरात्रि की रात को, विशेष आरती और पूजा का आयोजन किया जाता है, जो शिव भक्तों को आत्मा संजोये और उन्हें उनके ईश्वर के साथ जोड़ता है.इस उत्सव के दौरान बनारस की सड़कों पर धार्मिक भजनों की धुन सुनाई देती है और लोग अपने घरों को सजाते हैं.पूजा और भजन के अलावा, लोग बनारस की सड़कों पर भव्य शोभायात्राओं का आयोजन करते हैं, जिसमें भगवान शिव की मूर्तियाँ और प्रतिमाएँ समेटी जाती हैं.
महाशिवरात्रि पर विश्वनाथ मंदिर
बनारस की शिवरात्रि का महत्व इसे भगवान विश्वनाथ मंदिर के पास होने की वजह से और भी अधिक बढ़ा देता है.भगवान विश्वनाथ मंदिर शिवरात्रि के दिन लाखों भक्तों से भरा होता है. भक्त यहां शिव की पूजा करने और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करने आते हैं. मंदिर के प्रांगण में भगवान शिव के दर्शन करने के लिए लाखों भक्त उमड़ते हैं, जो अपने मन की गहराई से इस पवित्र स्थल को यात्रा करते हैं.
महाशिवरात्रि पर रात्रि जागरण
बनारस की शिवरात्रि का उत्सव भोले बाबा के भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है, यहां पर लोग रातभर जागरण करते हैं और शिव के नाम का जप करते हैं. मंदिरों ध्यान का वातावरण होता है, जिससे लोगों का मन शांत होता है और उन्हें भगवान शिव के साथ एकाग्र होने का अनुभव होता है.शिवरात्रि के उत्सव के दौरान, बनारस शहर में एक अलग ही उत्साह और आनंद का माहौल होता है.
महाशिवरात्रि पर शिव बारात
महाशिवरात्रि पर शिव बारात जो की ये भी बनारस की एक परंपरा में से है ये परंपरा करीब 43 वर्षो से चली आ रही है.इसमें धूमधाम से भगवान शिव की बारात निकलती है ओर इस बारात में देव,दानव.राक्षस,सांप,बिच्छू,किन्नेर,साधू सन्यासी सभी इस बारात में आते है और इस बारात के साक्षी बनते है.पहली बार ऐसा हो रहा है 2024 के शिव बारात में की इस बार बरसाने की लठमार होली भी खेली जाएगी ऐसा शिव बारात में पहली बार हो रहा है.
बनारस की शिवरात्रि का उत्सव भारतीय संस्कृति की एक अनूठी परंपरा को दर्शाता है. यह उत्सव धर्म, संस्कृति, और सामाजिक एकता को मजबूत करता है. इस दिन लोग अपने अंतर्यात्मा को समझते हैं और भगवान शिव के आसन को प्राप्त करने का प्रयास करते हैं. बनारस की शिवरात्रि का उत्सव एक सामाजिक, धार्मिक, और आध्यात्मिक समृद्धि का प्रतीक है, जो लोगों को एक साथ लाता है और उन्हें एक नई ऊर्जा के साथ आगे बढ़ने का प्रेरणा देता है.
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