Introduction
Dev Deepawali ,” जो कि वाराणसी, उत्तर प्रदेश, भारत में मनाया जाता है, एक सांस्कृतिक उत्सव है जिसे दीवाली के पश्चात मनाया जाता है, यह त्यौहार गंगा नदी के किनारे, काशी विश्वनाथ मंदिर के आसपास, बहुत धूम धाम के साथ मनाया जाता है. इस दिन, घाटों पर दिए जलाए जाते हैं और आसमान में आतिशबाजी चमकती है. देव दिवाली को देवी-देवताओं की उपस्थिति में मानाने का महत्व दिया जाता है, और यह वाराणसी की उच्च संस्कृति का एक एक अंश है|
Dev Diwali: पौराणिक महत्व(Mythological Significance)
इतिहास में, Dev Deepawali को अयोध्या के राजा राम के अयोध्या लौटने के दिन के रूप में भी मनाया जाता है, जब उनके अनुयायियों ने उनके स्वागत के लिए दीपों से नगर को रौंगते से भर दिया था। इसके साथ ही, मान्यता है कि इसी दिन देवी लक्ष्मी भी अपने भक्तों के घरों में प्रवेश करती हैं और धन और समृद्धि की वर्षा करती हैं।
देव दीपावली का यह संबंध देवताओं के आगमन और उनकी आराधना से है, जिससे शुभकारी और प्रसन्नता का माहौल बनता है। यह त्योहार आत्मा की उत्कृष्टता और प्रकाश की प्रतीक है, जो अच्छाई और ज्ञान की ओर प्रेरित करता है।
Dev Diwali: गंगा घाटों पर दीपों की सजावट
वाराणसी, जो नागरिकता और धार्मिकता का संगम है, वहां के Dev Deepawali में दृश्य अत्यंत सुंदर होते हैं। दीपों की सजावट गंगा घाटों पर एक नए रूप में चमकती है। घाटों पर रखे जाने वाले दीपों की रोशनी नेरे-नवाबों को समाहित करती है और आत्मा को पवित्रता का अहसास कराती है।
गंगा घाटों पर बूंदों की तरह फैले दीपों ने गंगा की लहरों के साथ मिलकर मानो जैसे की यहां की आत्मा को अंधकार से बाहर निकाला होता है। इस दिन गंगा घाटों पर अभिषेक का आयोजन भी किया जाता है। इस माहत्म्यपूर्ण समय में, श्रद्धालु अपने पापों की क्षमा के लिए गंगा का आदर्शन करते हैं और इस पवित्र नदी के साथ एक अद्वितीय संबंध का अनुभव करते हैं।
Dev Deepawali: सांस्कृतिक कार्यक्रम
इस महोत्सव के दौरान, स्थानीय लोग अपनी परंपरागत सांस्कृतिक के माध्यम से जुड़ते हैं और विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियों में भाग लेते हैं। पंडाल और प्रदर्शन इस मौके पर चार्चा के केंद्र होते हैं, जहां स्थानीय कलाकारों का प्रदर्शन होता है और उनकी सृष्टि को महसूस कराया जाता है।
Dev Deepawali के अवसर पर, विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है, जिसमें नृत्य, संगीत, और नाट्य प्रस्तुत किए जाते हैं। ये कार्यक्रम आत्मीयता और सांस्कृतिक विविधता को प्रमोट करने का साधन बनते हैं, जो लोगों को एक-दूसरे के साथ जोड़ने का अद्वितीय अवसर प्रदान करते हैं|
Dev Diwali: भक्तों का संगीत और आराधना
Dev Deepawali अवसर पर, भक्तों का हृदय भगवान की आराधना और संगीत से पूर्ण होता है। यह एक अद्वितीय पर्व है जो भक्तों को आत्मिक समृद्धि की ओर मोक्ष का मार्ग दिखाता है। रात्रि को, मंदिरों में श्रद्धालुओं का मिलनसर संगीत और भगवान की पूजा होती है, जो एक अनूठा अनुभव प्रदान करती है।
भक्तिभाव से भरी आराधना के दौरान, भगवान की मूर्तियों के सामने भक्तों की भावनाएं उभरती हैं और संगीत के माध्यम से भगवान की महिमा गाई जाती है। संगीत की मिठास और भक्ति के रास्ते पर चलने का आनंद उन्हें आत्मा के साथ मिलता है।
देव दीपावली एक दिव्य अनुभव है, जिसमें संगीत और आराधना एक साथ आत्मा को एकीकृत करने का समर्थन करते हैं, भक्तों को दिव्यता का अहसास कराते हैं।
Conclusion
हर साल की तरह इस साल भी बनारस तैयार है Dev Deepawali के आयोजन के लिए इस साल यानि की 2023 में 27 नवंबर को देव दिवाली पड़ रहा है, और बनारस हमेशा की तरह इस साल भी अपने मेहमानों के स्वागत ले लिए तैयार खड़ा है|घाटों और मंदिरों को को सजा दिया गया है|