6 सितम्बर 1978 की रात, वाराणसी के लक्सा इलाके में गंगा इतनी तेज़ बढ़ीं कि लोग घबरा गए। अफरा-तफरी मच गई थी
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रात 8:30 बजे पानी बढ़ना शुरू हुआ और 9 बजे तक लक्सा के घरों में घुस चुका था। लोग सामान समेट कर ऊपर के तल पर भागे
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सुबह उठे तो मोहल्ले में कमर तक पानी भरा था। कोई घर से बाहर नहीं निकल सका। लोग खिड़कियों से झांक रहे थे
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लक्सा चौराहा, गुरुबाग, गोदौलिया, गिरजाघर – हर जगह पानी ही पानी था। चार दिन तक नावें चलीं। सड़कें नज़र ही नहीं आईं
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गोदौलिया पर रस्सी लगाकर रास्ता बंद कर दिया गया था। दशाश्वमेध की ओर कोई नाव नहीं जा सकती थी – बहुत तेज़ बहाव था
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7 सितम्बर 1978 को वाराणसी में गंगा का जलस्तर 73.901 मीटर नापा गया – आज़ादी के बाद का सबसे ज़्यादा
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चार दिन लगातार बारिश होती रही। पानी रुका ही नहीं। लोग घरों में कैद थे। न खाने की सुविधा थी, न बाहर जाने की
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स्थानीय लोग पाउडर दूध और ब्रेड खा कर ज़िंदा रहे। दुकान तक पहुँचने के लिए नाव का सहारा लेना पड़ता था
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चार दिन तक पानी स्थिर रहा। ऐसा लगा जैसे गंगा कभी नहीं लौटेंगी। फिर पांचवें दिन धीरे-धीरे पानी उतरना शुरू हुआ
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वाराणसी के लक्सा में आज भी लोग '1978' को याद कर कांप जाते हैं। वो बाढ़ सिर्फ पानी नहीं, एक खौफ था
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