Varanasi

Sultankeshwar Mandir, वाराणसी

वाराणसी जिले, उत्तर प्रदेश के पावन नगरी के किनारे स्थित Sultankeshwar मंदिर एक धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस मंदिर का निर्माण भगवान शिव को समर्पित है और यह वाराणसी के प्रसिद्ध महादेव मंदिर क्षेत्र में स्थित है। इस ब्लॉग में, हम आपको सुल्तानकेश्वर मंदिर के महत्व, इतिहास, और अन्य महत्वपूर्ण जानकारी के साथ इस पावन स्थल का विवरण प्रदान करेंगे।

मंदिर का इतिहास

मान्यता है कि गंगा अवतरण के समय भगवान शिव को काशी की सुरक्षा की चिंता सताने लगी। उन्होंने यहीं अपना त्रिशूल गाड़कर गंगा के वेग को रोका था। इसलिए इनका नाम Sultankeshwar पड़ा। द्वापर में ब्रह्मा ने यहां वीरेश्वर महादेव के शिवलिंग की स्थापना की।

मंदिर की वास्तुकला

सुल्तानकेश्वर मंदिर का आकर्षण उसकी सुंदर वास्तुकला और आकर्षक शिव लिंग की मूर्ति है। यहाँ की वास्तुकला मंदिर के प्राचीनतम शैली को प्रकट करती है और इसे एक पूर्णत: धार्मिक स्थल बनाती है। मंदिर की मूल आर्किटेक्चर में शिव के पुरातात्विक भावनाओं का पालन किया गया है, जिससे यह एक श्रद्धा और आध्यात्मिक स्थल बन जाता है।

पावन जल धारा

Sultankeshwar मंदिर के प्रांगण में एक पावन जल धारा है, जिसमें पवित्र गंगा का पानी रखा जाता है। मंदिर से सटा हुआ सुन्दर सा घाट है जहां से गंगा माँ जाती है और यही से होते हुए वो काशी में प्रवेश करती है,जो कि फिर बिहार जाती है.श्रद्धालु जो महादेव का दर्शन करने आते है वो इस गंगा जी में डुबकी अवश्य से लगाते है|

कब जाएँ

Sultankeshwar मंदिर वाराणसी जाने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से लेके मार्च तक का है हालांकि गर्मियों में भी जा सकते है लेकिन गर्मियों में तापमान 40 से ऊपर रहता है तो बहुत ही ज्यादा गर्मी रहती है और ज्यादा लोग इस मौसम में आते नहीं है,और साथ ही साथ बरसात के मौसम जुलाई से लेके सितम्बर तक भी जाने से बचना चाहिए क्युकी मंदिर गंगा जी से सटा हुआ है तो किसी किसी मौसम में गंगा जी अत्यधिक बारिश के कारण ऊपर आ जाती है जिससे कि बाड का खतरा बन जाता है तो जब भी जाए पता करके जाए|

कैसे पहुंचे

Sultankeshwar मंदिर, वाराणसी मैन सिटी से थोड़ा दूर हटके है अगर बात की जाए वाराणसी रेलवे स्टेशन से इसकी दूरी की तो यहाँ से करीब 16KM दूर है और वहीं काशी विश्वनाथ से शूलटंकेश्वर की दूरी करीब 22 KM है|आपको आसानी से ऑटो या फिर कैब रेलवे स्टेशन या फिर वाराणसी में कही से भी मिल जायेगी मंदिर जाने के लिए|

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